एक ऑटो वाले की लव स्टोरी जो किसी 90 के दशक की फिल्म से कम नहीं है

90s की बहुत सी ऐसी फिल्में देखी होंगी जिनमें किसी अमीर बाप की लड़की का किसी गरीब लड़के के साथ प्रेम प्रसंग शुरू हो जाता है फिर वो अमीर बाप लड़का-लड़की को अलग करने की हर संभव कोशिश करता है। हालांकि कई फिल्मों में इसके ठीक उलटा भी होता है। जिसमें लड़के का बाप अमीर होता है और लड़की का बाप गरीब।

आज मैं आपको इसी तरह की एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूं। दरअसल जब मैं 90s की इस तरह की फिल्में देखता था तो जमकर रोता था। कारण मुझे भी आज तक नहीं पता चला। खैर, यह कहानी है नोएडा के एक ऑटो वाले की। उस दिन मैं हर रोज की तरह सुबह 7 बजे मयूर विहार से नोएडा सेक्टर 58 अपने ऑफिस आ रहा था। वैसे तो सेक्टर 15 से शेयरिंग ऑटो वाले हमेशा फुल सबारी भरकर चलते हैं लेकिन सुबह-सुबह दो एक बिठाकर भी चल देते हैं। मेरे लिए वैसे तो रोज की तरह वो 30 मिनट का सफर पकाऊ होता है लेकिन उस दिन कुछ ऐसा हुआ कि मैं कई दिन तक उसे भूल नहीं पाया। 


प्रतीकात्मक चित्र
साभार-gettyimages

दरअसल सेक्टर 10 के पास जैसे ही ऑटो पहुंचा तो ड्राइवर ने सवारी देखकर ऑटो रोका और जो बुजुर्ग ऑटो में बैठने वाले थे वो उनके झुककर पैर छूने लगा। हालांकि यह कुछ खास घटनाक्रम नहीं था लेकिन मुझे थोड़ा अजीब लगा मन में उत्सुकता हुई जानने की। खैर आगे चलकर सेक्टर 12-22 पर वे बुजुर्ग जैसे ही उतरे उस ड्राइवर ने फिर से पैर छुए। अब मेरा मन में एक ही बात चल रही थी आखिर इस बुजुर्ग का इस ऑटो ड्राइवर से रिश्ता क्या है। ऑटो कुछ ही दूर आगे बढ़ा तो मैंने उस ड्राइवर से पूछा कि भाई साब वो जो बुजुर्ग अभी ऑटो से उतरे थे उनका आपसे क्या रिश्ता है। इतनी बात सुनकर वो ड्राइवर पहले तो हंसा फिर मुझसे बोला भाई थोड़ी लंबी कहानी है।
मैंने कहा यार बताओ हमें कौन सा हल जोतने जाना है। एक बात और जब से वो बुजुर्ग ऑटो में बैठे थे उन्होंने न तो उस ऑटो ड्राइवर से बात की और न ही कुछ रिएक्शन दिया। 

खैर...मेरे बहुत कहने पर उस ड्राइवर ने मुझे बताया कि वो उसके ससुर थे। इतना सुनने के बाद एक बात पक्का समझ आ गई कि यह एक लव स्टोरी वाला मामला है। उसने आगे बताया कि "मैं इनकी बेटी से प्यार करता था। लेकिन इन्हें यह पसंद नहीं था। खासकर इनके बेटे को। जब इन्हें पता चला कि इनकी बेटी भी मुझसे प्यार करती है तो इन्होंने लाख कोशिशें की हमें जुदा करने की। हम फिर भी मिलते रहे छुप-छुप कर। एक दिन इनके बेटे ने हमें देख लिया और अपने दोंस्तों के साथ मुझे बहुत मारा। मैं कई दिनों तक अस्पताल में एडमिट रहा इस बीच इनकी लड़की मुझे अस्पताल में देखने आई थी हालंकि मुझे पता नहीं चला मुझे बाद में नर्स ने बताया कि कोई एक लड़की सुबह-सुबह शीशे के बाहर से देखकर चली जाती थी। मैं जब ठीक हुआ तो उससे मिलने गया। मेरी किस्मत ने साथ दिया और मुझे उससे मिलने का मौका मिल गया मैंने उसी समय पूछा कि क्या तुम अपने पापा से डरकर मुझे भूल तो नहीं गई हो.. अगर नहीं तो बताओ मैं तुम्हें पाने के लिए कुछ भी कर सकता हूं। उसने कहा कि हां.. मैं तुम्ही से शादी करना चाहती हूं लेकिन अपने पापा को दुखी नहीं करना चाहती और अभी हमें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए मैं अपने पापा से बात करती हूं। इतना कहकर वो चली गई मैं भी इंतजार करने लगा कि काश उसके परिवार वाले मान जाएं।"

लड़के ने बताया कि वो बहुत गरीब परिवार से था। लड़की के पापा ठीक-ठाक थे मतलब घर मकान अच्छा बना हुआ था। जबकि उसके घर पर अभी भी खपरैल पड़ा है। कुछ समय बाद लड़की ने अपने पापा से बात कि लेकिन वो मना करने लगे और उसे बहुत डांटा। भाई ने मारने तक के लिए हाथ उठा दिया। लड़की के जिद करने के बाद बाप ने मुझे (ऑटो ड्राइवर) उनसे मिलाने को कहा। मैं एक दिन उनसे मिलने गया। लड़की के पापा ने मुझसे अकेले में बात की। पहले तो उन्होंने मुझे धमकाया लेकिन एक बाप होने के नाते वो थोड़ा अदब से बात कर रहे थे। मैं भी उनसे पैर छू-छू कर एक तरह से भीख ही मांग रहा था। फिर उन्होंने मुझे अपने स्टेटस का वास्ता दिया। बोले की मेरा बेटा बहुत अच्छे क़ॉलेज में पढ़ता है। तुम तो अनपढ़ हो तुम्हारे पास तो अपना खुद का घर भी नहीं है। फिर ऐसे ही बात करते-करते उन्होंने नसीब फिल्म के सईद जाफरी वाली एक शर्त रख दी। बोले की पहले खुद का घर बनवाओ दिल्ली या नोएडा में। तब सोचूंगा। मैंने उनसे मना किया कि मैं ऐसा नहीं कर पाऊंगा। क्योंकि मैं एक तो पहले से ही बेरोजगार था। ऊपर से दिल्ली नोएडा में जहां एक झोपड़ी किराए पर लेने में दम फूल जाता है भला वहां मकान लेना किस के बस की बात है। खासकर मेरे जैसे गरीब के।
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मैं वहां से रोता हुआ वापस चला गया। कुछ समय बाद हमने भाग कर शादी कर ली और चेन्नई चले गए। वहां मैंने एक दोस्त के साथ ऑटो चलाना सीखा। 4 साल तक चेन्नई में रहा। ऑटो चलाकर पेट भरता रहा। थोड़ा बहुत पैसा भी इकठ्ठा हो गया था। इस बीच फोन करके मैं अपने घर का व ससुराल का हाल चाल लेता रहा। लड़की के घरवाले कई बार मेरे घर गए। मेरे मां-बाप को बहुत धमकाया, मेरे पिता जी को पुलिस से पिटवाया। गांव वालों के सामने हमारी बहुत बेइज्जती की। लेकिन मैंने अपने घर पर भी नहीं बताया था कि मैं कहां हूं। कुछ समय बाद मुझे पता चला कि ससुर जी अपने जिस लड़के पर सीना चौड़ा करते थे वो नशा करने लगा है। दो बार लड़की छेड़ने के चक्कर में थाने में भी जा चुका है। ससुर जी काफी अकेले हो गए थे। मेरी बीबी का मन नहीं माना बोली की चलो देखने चलते हैं। हम लगभग 5 साल बाद वापस दिल्ली आए। हमें जो पता चला उससे हमारे होश उड़ गए। पड़ोसियों ने बताया कि राजू (मेरा साला) का मर्डर हो गया है। "वो किसी की लड़की लेकर भागा था। कई दिनों तक लोग उसे ढूंढ़ने यहां रोज आते रहे। तुम्हारे ससुर जी को भी उन्होंने बहुत मारा। उसके तीन महीने बाद उसका शव पुलिस को कहीं मिला।"


उस ऑटो ड्राइवर ने बताया कि, "मैंने अपने ससुर को ढूंढने की बहुत कोशिश की। पता चला कि वे अपने बड़े भाई के साथ रहने लगे हैं। दरअसल उन्होंने ससुर जी की संपत्ति को हड़पने के लालच में अपने घर पर ऱख लिया। मैंने और मेरी बीबी ने उनसे बहुत कहा कि पापा आप हमारे साथ रहो। हमें आपकी संपत्ति नहीं चाहिए। आप जिसे चाहो दे देना। लेकिन आप हमारे साथ रहोगे तो हम आपकी इस बुढ़ापे में अच्छे से देखरेख कर सकेंगे। हमारे लाख कहने पर वो नहीं मानें। दरअसल ससुर जी अभी भी हमसे नफरत करते हैं। उनका दिमाग ठीक नहीं रहता है। अब मैंने यहीं नोएडा में एक मकान किराए पर ले लिया है और अपना खुद का ऑटो खरीद लिया है। रोज दिन भर ऑटो चलाता हूं। शाम को घर पर चला जाता हूं। मेरे एक बेटी हैै। ससुर जी उसे भी देखने नहीं आए। हम दोनों उनके पास गए भी लेकिन किसी ने भी हमसे बात नहीं की। और आज यह धोखे से मेरे ऑटो पर बैठ गए।"

अब तक मेरा ऑफिस आ गया था। इस बार मुझे रोना तो नहीं लेकिन सोच बहुत आया। वो कहते हैं न कि रस्सी जल जाती है लेकिन बल नहीं जाता। ससुर जी को ध्यान से ऑब्जर्ब किया जाए तो पता चलता है कि लोगों को अपनी इज्जत, अपना रुतबा, अपनी साख किसी की जान से भी ज्यादा प्यारी होती है। ससुर की हालत खराब है लेकिन वो अकड़ अभी भी वही पुरानी वाली है। मैंने अपने गांव पड़ोस में बहुत से ऐसे लोगों के बारे में सुना है जिन्होंने अपनी अकड़ के चलते कई जिंदगियां कुर्बान कर दीं। हां यह सच है कि मां-बाप को अपने बच्चों की सबसे ज्यादा फिक्र होती है। और हो सकता है कि वो यह भी जानते हों कि उनके बच्चों के लिए क्या अच्छा है और क्या गलत। हालांकि मेरा एक मानना है कि जब मां-बाप बच्चों से बचपन से लेकर जवानी तक हर काम अपनी मर्जी से करवाते हैं तो कम से कम उन्हें अपना जीवन साथी अपनी मर्जी से चुनने का अधिकार तो दें। खैर यह एक बहस का मुद्दा है। सभी की इस पर अलग-अलग राय हो सकती है।

PS- इस लव स्टोरी में मैंने उसके शब्दों को विस्तार से लिखा है। मुझे नहीं पता कि वो ऑटो ड्राइवर सच बोल रहा था या झूठ। हां उसके चेहरे से थोड़ी मासूमियत झलक रही थी जिससे इतना अंदाजा तो लगाया जा सकता था कि सच नहीं तो झूठ भी नहीं बोल रहा है। और हां मैंने इस बीच उसका नाम भी नहीं पूछा न यह पूछा कि वो कहां रहता है और कहां का रहने वाला है। इसके लिए खेद है............ लेकिन शायद यह मेरे लिए अच्छा भी है...................................................
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