इतना फ्रस्ट्रेट क्यों हो मेरे महबूब?

इतना फ्रस्ट्रेट क्यों हो मेरे महबूब? तुम ही तो कहते हो दुनिया बहुत खूबसूरत है फिर खुद ही अपवाद बनते जा रहे हो। अभी तो कुछ देखा भी नहीं है तुमने। दूसरों के लिए प्रेरणा बनना तुम्हारे बस का नहीं है। होता तो अपनी कुंठा को यूं जग जाहिर नहीं करते। पता है तुम दुनिया में सबसे ज्यादा ठलुआ हो। इतने-ठलुआ हो कि तुम्हें दूसरों के फेसबुक स्टेटस पर कितने लाइक्स हैं और कितने हाहा के रिएक्शन हैं सब देखने की फुरसत होती है। 
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हां एक बात अच्छी है तुम में।
तुमने किताबें बहुत पढ़ी हैं। शायद फिल्में भी बहुत देखी हैं। लेकिन पत नहीं क्यों मुझे लग रहा है कि तुमने फिल्में देखने में एक गलती कर दी। तुम्हारी वॉल देखकर लगता है कि तुमने केवल वही फिल्में देखी हैं जिनमें फेमनिज्म जबरदस्ती ठुसाया गया है। पता है तुम बहुत दुखी हो खुद से, लेकिन तुम्हें दूसरों की परेशानियों से दिक्कत है। दिक्कत इसलिए नहीं कि दूसरा दुखी है बल्कि इसलिए कि दुखी होने का हक तो केवल तुम्हें ही है। 

पता है मैंने अपनी इस छोटी सी जिंदगी में 3 से 4 किताबें ही काम की पढ़ी होंगी, लेकिन फिल्में इतनी देखी हैं कि अगर उनके बारे में लिखने बैठ जाऊं तो जिंदगी छोटी पड़ जाएगी। तुम्हारे साथ एक गलती और हुई कि तुम जल्दी मैच्योर हो गए। थोड़ा वक्त और लेना चाहिए था तुम्हें। इसमें गलती तुम्हारी नहीं है शायद मां-बाप की है। उन्होंने ही तुम्हें जिम्मेंदारियों का इतना अहसास दिला दिया कि तुमसे और देखा नहीं गया। मां-बाप से शिकायत करो। जब उन्होंने तुम्हें पाल-पोश के इतना बड़ा कर ही दिया था तो थोड़ा और नहीं रुक सकते थे। कम से कम चीजों को समझने तक तो रुक ही जाते। उनकी एक गलती के कारण तुम बहुत कुछ गलत कर रहे हो। खैर करते रहो...............

आजकल अपकी परिपक्वता टपक नहीं बल्कि बह रही है। बहुत लिखते हो...अच्छा है। लेकिन एक ही चीज पर क्यों..? चलो मान लेते हैं कि तुम केवल 'उसी' पर लिखना जानते हो तो कम से कम दूसरे विषयों पर एक्सपर्ट कमेंट तो मत ही दिया करो। तुम्हें नहीं पता है शायद..एक बार हमारे एक दोस्त ने तुम्हारा फोटो देख लिया था..और देखते ही बोला 'यार यह तो....................छोड़ो जाने दो..सब माफ
#अधूरी_शिकायतें

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