क्यों गिरा था बरेली की बाजार में झुमका? और अब कौन उठा लाया है?

साभार- गूगल बाबा
किसी कवि ने बहुत खूब लिखा है सुरमा नगरी बरेली के बारे में।
लखनऊ शर्क, गर्व देहली
और दोनों का दिल बरेली
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली राज्य राजधानी लखनऊ से बराबर की दूरी पर रामगंगा के किनारे बसे शहर बरेली (बांस बरेली) को रुहेलखंड की राजनीति का केंद्र कहा जाता है। लगभग सभी धर्मों के विश्व प्रसिध्द धर्म स्थलों से सुसज्जित बरेली में दरगाह-ए-आला-हजरत, खानकाहे-नियाजिया, बरेली के पांचो कोनों पर विराजमान भगवान शिव के पांच रूप धोपेश्वर नाथ, वनखंडीनाथ, मढ़ीनात, त्रिवटीनाथ, अलखनाथ और इसके अलावा कई प्रसिद्ध चर्च हैं जो अपनी सुंदर कला के लिए जाने जाते हैं। बरेली का मांझा, पतंग, जरी, आदि इस गंगा जमुनी तहजीवी शहर को विश्वव्यापी पहचान दिलाते हैं। लेकिन यह पहचान तब फींकी पड़ जाती है जब कवि और शायरों की पसंद कानों में चमकता आभूषण झुमका इसकी मुख्य पहचान बन जाता है। किसी व्यक्ति को बताओ कि आप बरेली से हैं तो सबसे पहले उसका ध्यान सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र राय बरेली पर जाता है। फिर थोड़ा ध्यान दिलाने पर इस बरेली तक पहुंचता है। उसमें भी “झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में” गाने का खासा योगदान होता है। तब कहीं जाकर उसकी समझ में आता है कि यह वही बरेली है जहां के मशहूर शायर वसीम बरेलवी हैं। और हां मशहूर बालीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा भी तो यहीं जवान हुईं हैं।
लेकिन इन सबके विपरीत एक सवाल उठता है कि बरेली का सुरमा, मांझा, पतंग, जरी, कारचोवी, बांस का फर्नीचर आदि भी तो पूरे भारत में बहुत प्रसिद्ध है फिर भी अधिकतर लोग इसे झुमकों के शहर के नाम से ज्यादा पहचानते हैं। दरअसल इसके पीछे लोगों का भारतीय सिनेमा के प्रति लगाव एक कारण हो सकता है। 1966 में आई फिल्म 'मेरा साया' के गीत “झुमका गिरा रे बरेली के बाजार मे” खूब  लोकप्रिय हुआ था। यह गीत उस समय से लेकर आज तक भी लोगों का लोकप्रिय गीत बना हुआ है। इसकी लोकप्रियता ने बरेली को एक नई पहचान दे दी। रजा मेंहदी द्वारा लिखे इस गीत के पीछे हिंदी के मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन की प्रेम कहानी प्रगाढ़ होने की दास्तां है। बरेली का करोबारी हब कहे जाने वाले बड़ा बाजार की एक दुकान में बैठे दीनानाथ बताते है “मेरे पिता जी का सर्राफे का पुश्तैनी व्यवसाय है वो बताते थे कि हरिवंश राय बच्चन ने तेजी बच्चन से अपनी मोहब्बत का इजहार यहीं के मशहूर वाल साहित्यकार निरंकार देव के घर पर किया था। हडबड़ाहट में तेजी जी के मुह से जबाब निकला 'हाय मेरा झुमका खो गया है बरेली के बाजार में' अर्थात उनका इससे तात्पर्य था कि वो बरेली मे आकर उनकी सुध बुध खो गई है, और उन्हें लग रहा है कि उनका झुमका कहीं गिर गया है और उन्हें खबर तक नहीं हुई। बाद में जब यह बात चर्चा में आई और उसी समय राजा मेंहदी अली खान को मेरा साया फिल्म के लिए गीत लिखने को कहा गया, तो फट से उन्होंने इसी को ध्यान में रखकर यह गीत लिख दिया।”
यह कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी कि बरेली में झुमके का कारोबार कोई प्राचीनतम कारोबार का हिस्सा नहीं है। सेठ ज्वाला प्रसाद बताते हैं “बरेली में सर्राफे का कारोबार मुगलकाल से माना जाता है, लेकिन विशेष रूप से आभूषणों में झुमका निर्माण का कार्य इस गीत के प्रचलन में आने से बढ़ा है। सत्तर के दशक में झुमके को तरह तरह से बनाने की महारत यहां के कारीगरों ने हासिल कर ली थी और यह कहना गलत नहीं होगा कि उस समय तक स्त्रियों का सबसे प्रिय आभूषण झुमका बन गया था।” देश भर में जहां कहीं भी झुमके का नाम आता है लोग बरेली को याद कर ही लेते हैं। गांवों की शादियों में दुल्हनों का सबसे प्रिय आभूषण झुमका ही होता है। लेकिन अब झुमके का शौक तेजी से कम हो रहा है। बढ़ती चोरी व महगाई ने महिलाओं के दिल में इतना खौफ बैठा दिया है कि अब छोटे छोटे गहनें ही पहनना पसंद करती हैं उसमें भी आर्टीफीशियल ज्वैलरी ज्यादा इस्तेमाल की जाती है।
कुतुबखाना में रहने वाले शांती लाला बताते हैं “शहर में बढ़ती आपराधिक वारदाताओं के डर महिलाओं ने झुमके सरीखे बड़े बड़े आभूषण पहनना बंद कर दिया है, छोटी बालियां व नग के टाप्स की डिमांड बढ़ रही है। रंग बिरंगी प्लास्टिक की ज्वैलरी बाजार में छाई है औरतें सीप व शंख से भी कान सजा रही हैं।”कारोबारियों की माने तो शहर में शादी बारात के सीजन में प्रतिमाह औसतन छह करोड़ का कारोबार होता था। औरतें पहले झुमके को ज्यादा पसंद करती थीं। सर्राफा बाजार में झुमके की मांग में पिछले छह माह में 70 से 80 प्रतिशत की गिरावट हुई है। हांलांकि इसके पीछे तर्क यह भी माना जाता है कि झुमके के मुकाबले में टाप्स बनाने में कम सोना लगता है और स्नेचिंग होने का डर भी कम होता है।
बरेली को झुमका सिटी बनाने में बालीवुड का पूरा योगदान है। अब जब शहर में झुमके की डिमांड कम हो रही है तो सर्राफा कारोबारियों चाहते हैं कि बालीवुड फिर से इस झुमका सिटी को उसकी पहचान को निखारने में मदद करे। रामपुर गार्डन निवासी लाला विकास अग्रवाल कहते हैं “आज कल फिल्मों में झुमके का प्रचलन देखने तो मिल रहा है। अभिनेत्रियां चाहें वो प्रियंका हो या करीना या दीपिका फिल्मों में बड़े बड़े झुमके पहने दिखाई दे जाती हैं”। विकास अग्रवाल की मानें तो बालीवुड अपना काम बखूबी निभा रहा है फिल्म मेरा साया में जहां झुमका गिराया गया था तो वहीं माधुरी दिक्षित अभिनीत फिल्म आजा नचले के टाइटल सान्ग में झुमके को उठा भी लिया गया है.... “मेरा झुमका उठा के लाया यार वे, जो गिरा था बरेली के बाजार में”
चलो अब गाना भी सुन लो-------

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