हमारी पूजनीय संसद और उसके तथाकथित कलाकार



संसद में जो भी होता रहता है उससे हम सभी लोग लगभग बाकिफ़ रहते हैं। रोज कुछ नया होता है, कुछ अलग होता है, कुछ मनोरंजित करने वाला सीन तो हमेशा होता ही होता है। मित्र अभिषेक के शब्दों में कहें तो दो शो भारत में अपने मनोरंजन के लिए मशहूर हैं एक तो बिगबास और और दूसरा संसद सत्र जो साल में तीन बार आता है। दर्शक बिग बास जैसे शो देखकर उतना आनंदित नहीं होते होंगे जितना संसद की चर्चा, या बहस देख के आनंद लेते हैं। मजे की बात यह कि संसद में जितने भी कलाकार होते हैं वो भी बिगबास शो के कलाकारों की तरह अपने आप में अदभुत होते हैं। वैसे तो संसद के बहुत सारे काम होते हैं जैसे कानून बनाना, जन हितैषी मुद्दों पर चर्चा करना लेकिन आज कल यहां पर मौजूद कलाकारों का सिर्फ एक ही काम है वो है एकता कपूर के शो को टक्कर देना। और एक मजे की बात यह की संसद के इस शो में भी एकता कपूर के शो की एक अदाकारा हैं। हो सकता है इन्होंने ही अपने अन्य साथियों को शो में काम करने की ट्रेनिंग दी हो। लेकिन आज कल यह अदाकारा अकेले ही मोर्चा संभाले हुए हैं। अदाकारी में काफी लंबा अनुभव हैं, इस हिसाब से तो अन्य कलाकारों को कड़ी टक्कर मिलना स्वभाविक है। बिगबास की नोंक-झोंक तो सामन्य होती है कोई बता रहा था कि स्क्रिप्टेड होती है, लेकिन यहां आपको कुछ भी स्क्रिप्टेड नहीं मिलता सारा ओरिजिनल होता है, हां कुछ कलाकार हैं जो अपनी-अपनी स्क्रिप्ट स्वयं या दूसरों से लिखवा लेते हैं, लेकिन मौका पड़ने पर भाड़ में जाए स्क्रिप्ट अपना असली कलाकार बाहर निकाल ही देते हैं।
जहां तक मुझे लगता है कि बच्चों की फरमाइश का भी पूरा ख्याल रखा जाता है। पप्पू या छोटा भीम जैसे कलाकार भी हैं जो बच्चों का समय-समय पर मनोरंजन करते रहते हैं। कुछ कलाकार शाहरूख खान जैसा रोमांस भी करते हैं, तो कुछ शक्तिकपूर जैसी भी हरकतें भी करते हैं, कुछ प्रेम चोपड़ा जैसी दलबदलू हरकतें तो कुछ डैनी जैसी खूंखार आवाज और आंखों से वार करने में भी माहिर हैं। अभी एक कमी जो मुझे लगती है वो है ग्लैमर की क्योंकि युवाओं को रिझाने का काम ग्लैमर ही करता है। तो वो दिन भी अब दूर नहीं है जब सांसद युवाओं की इस मांग को पूरा करने के लिए हाट अंदाज में संसद में नजर आएंगे आखिर में हमारे प्रतिनिधि हैं तो हमारी मांगे पूरा करना इनका फर्ज़ है। वैसे हमारे बुजुर्गों का भी खूब ख्याल रखा गया है आलोकनाथ से लेकर दर्शन ज़रीवाल जैसे उम्दा कलाकार भी हैं जो अपने-अपने प्रवचनों से पूरी संसद कों मार्गदर्शित करते हैं। औरतों के मनोरंजन के बारे में मुझे कुछ नहीं कहना क्योंकि आज कल सबसे ज्यादा मनोरंजन उन्हीं का हो रहा है। कलाकारों को अपने-अपने रोल बखूबी समझने के लिए समय दिया जाता है उन्हें दिशा-निर्देश दिए जाते हैं कि आप को कहां जाना है किस रोल को किस सत्र में प्ले करना है। कुल मिलाकर एक बात सामने आती है वो यह कि हमारी संसद और हमारा हिंदी सिनेमा एक दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। अब वो दिन दूर नहीं जब संसद सत्र के अंत में कलाकारों को इनाम दिया जाएगा, जैसे बेस्ट एक्टर मेल, बेस्ट एक्टर फीमेल, बेस्ट परफार्मर आफ द् इयर, बेस्ट पकाऊ आफ द् इयर, बेस्ट डायलाग आफ द् इयर, बेस्ट मुद्दा आफ द् इयर।
वैसे मेरा दर्शकों से अनुरोध है कि हमारे इस नए शो को ज्याद से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं और रोज जरूर देखें क्योंकि यह एक राष्ट्रीय शो है, यहां पर सारे कलाकार राष्ट्रीय कलाकार हैं, और सबसे बड़ी बात कि शो पर खर्च होने वाला रुपइया भी आप ही का है। तो अपने पैसे भुनाने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि सस्ता मनोरंजन करें और सप्ताह में रिलीज हुई फिल्म न देखकर इन्हीं शो को दोबारा देखें क्योंकि आप इन शो को जितना ज्यादा देखेंगे उतना आप देश हित में काम करेंगे क्योंकि ज्यादा देखे जाने वाले शो की टीआरपी भी ज्यादा होती है जब टीआरपी ज्यादा होगी तो एड भी खूब मिलेंगे जब एड मिलेंगे तो रिवेन्यू में इजाफा होगा रिवेन्यू में इजाफा होगा तो देश तरक्की करेगा।
नोट1- आपको एड ज्यादा देखने को मिल सकते हैं, क्योंकि सत्र कभी-कभी ज्यादा देर तक स्थगित हो जाता है। लेकिन दर्शक भयभीत न हों सरकार रास्ता खोज रही है जल्द ही एक म्युजिक कंपनी से करार कर लिया जाएगा जो सत्र स्थगन के दौरान आपको अच्छे-अच्छे गाने सुनाकर आपका मनोरंजन करा सके।
नोट2- आप यह चैनल देखकर शत प्रतिशत राष्ट्रवादी और देशभक्त कहलाए जाएंगे।
अमित कुमार
हिंदी पत्रकारिता
आईआईएमसी, नई दिल्ली

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