एक तथाकथित आशिक मित्र की खूबसूरत ज़हां में एंट्री.....................

आज फिर से किसी खास के बारे में लिखने का दिल कर रहा है सोचता हूं, तुम्हारे बारे में ही लिख दूं। तुम जो कभी मिलीं ही नहीं, मैं जो कभी तुम्हारे पास गया ही नहीं। और फिर भी पता नहीं क्यों मैं तुम्हे बहुत करीबी समझता हूं। आज तक किसी को कभी बताया ही नहीं कि मैं तुम्हारे बारे में कुछ सोचता भी हूं। दोस्त पूंछते हैं तू आज कल इतना गुम सुम सा क्यों रहता है लगता है किसी को दिल दे बैठा है। लेकिन मेरा आज तक कभी इस तरह का कोई खयाल नहीं आया मैने कभी दिल विल के बारे में सोचा ही नहीं कि यह भी कोई किसी को देने की चीज होती है। यह तो हमारे अंदर है और यहीं रहेगा। पता नहीं क्यों मैं थोड़ा गलत सा साबित हो रहा हूं। मुझे लग रहा है कि मेरी कोई चीज खो गई हैै जो मुझे काफी व्यकुलित कर रही है। एक दोस्त को अपनी व्याकुलता के बारे में बताया तो वो भी वही पुराना जुमला रटने लगा कि तुझे तो बेटा प्यार हो गया है। अब भला प्यार ऐसे भी होता है कि हम दोनों में किसी को भी कुछ पता नहीं। मतलब यह कि न मैं कभी तुम्हारे पास गया न ही कभी मैं तुमसे बोला, यहां तक की तुम शायद ही मेरा नाम जानती हो मुझे यह तलक भी नहीं पता है। लेकिन फिर भी जब तुम मेरे पास से गुजरती हो मुझे एक अजीब सा अहसास होता है। अभी कुछ ही समय तो हुआ है जब मैंने तुम्हे पहली बार देखा था। तुम कोई अजीब सी, थोड़ी चंचल लेकिन भोली ज्यादा लग रही थी। मैंने एक बार सोचा कि तुम से जाकर बात करूं फिर सोचा क्या पता तुम मेरे इस बात करने के पीछे कोई गलत तो ना लगा लो।
     खैर जो भी हो बहुत सुंदर हो, ऊपर वाले नेे फुरसत में बनाया होगा तुम्हें। जब पहली बार देखा तो तुम किसी से बात कर रहीं थी मैं तुम्हारी सीट से दो सीट पीछे बैठा था। तुम एक बार थोड़ा सा पीछे को मुड़ी उस दो सेकेंड के पहले दीदार में मैं तुम्हारी पूरी तस्वार को अपने ह्दय में उतार लेना चाहता था लेकिन उस पल में मैं तुम्हारे कमल की पंखुड़ी रूपी होंठों का दीदर कर पाया। एक बार को तो लगा कि कोई कमल खुद व खुद किसी इंसानी रुप में किसी दुसरे इंसान से बाते कर रहा है। उस दिन मैं तुम्हें उतनी देर तक नहीं देख पाया जितना देखना चाहता था। क्लास के बाद हम सब अपने अपने घर चले गए। उस रात नींद तो आई लेकिन पता नहीं क्यों थोड़ी मिठास सी थी उस रात। सोने से पहले छत पर मैं एक बार छत पर गया उस दिन पूर्णिमा थी, रात के उजाले में मैं बहुत खुश था पता नहीं क्यों मुझे लग रहा था कि मुझे कुछ नया मिला है और वो हमेशा के लिए मेरा हो गया है। छत से नीचे आते ही पता नहीं चला कब नींद आ गई और मैं जब सोया तो देखा कि मेरे सपनों में पूरी रात तुम ही तुम थीं। खैर जैसे जैसे सुबह हुई तुमसे मिलने की इच्छा जगृत हुई कमबख्त छुट्टी निकली उस दिन अब अगले दो दिन तक कोई दीदार की उम्मीद नहीं थी। अब दिल पर पत्थर रख कर पिर से सोने लग गया था लेकिन अब नींद नहीं आ रही थी। फिर क्या हुआ किस्मत को तो कुछ और ही मंज्जूर था। थोड़ा लक ने साथ दिया थोड़ा दिल ने हिम्मत बढ़ाई और हम नहा के निकल दिए कॉलेज की तरफ, जैसे ही अंदर घुसा सबसे पहले तुम्हे देखा और फिर क्या सारी मेहनत सफल हो गई। तुम शायद उस दिन अपने मित्रों से मिलने आईं होगी लेकिन मेरे लिए यह इत्तेफाक सबसे खूबसूरत लम्हों में से एक था। उस दिन मैंनें पूरे दिन में जितनी बार भी कैंपस के अंदर चक्कर लगाया उसका कारण तुम ही थी। तुम मुझे पूरे दिन में तीन बार ही दिखी। लेकिन उन तीन बार में मैने पूरे दर्शन कर लिए थे तुम्हारे। अब पता नहीं क्यों लग रहा था कि तुम मेरी हो लेकिन शायद यह मेरा पागलपन था।
उस दिन से लेकर आज तक मैं तुम्हें सिर्फ देखता ही हूं। पता नहीं क्यों तुम पहली ऐसी लड़की हो जिसे देखने के बाद दिल में हलचल सी हुई है। कुछ तो है तुम में वरना ऐसे ही थोड़ी तुम्हेारे दोस्त तुमसे इतना प्यार करते हैं । बहुत खुशनसीब हो मेरा जान। जब हसती हो तो कहर ढाती हो, तुम्हारा नीचे वाले होंठ को दांतों से दबाते हुए हल्की सी मुस्कान को अपने होंठों से बाहर निकालती हो खुदा कसम दिल में खुशी और दुखी दोनों होता हैं। खुशी का करण तो सभी जान ही चुके होंगे लेकिन दुख इस बात का कि यह तुम्हेरे होंठों की मुस्कान मेरे लिए क्यों नहीं।


नोट-- यह किसी हसी जहां के किसी दिलफेंक परिंदे की छोटी सी कहनी है जो अभी भी चालू है अगर कुछ भी प्रोग्रेस आगे होगी तो जरूर साझा करूंगा। फिलहाल तो अपनी रोज चलने वाली एक ही प्रेम कहानी को शब्दों में पिरोने की कोशिश कर रहा है। क्योंकि यह उड़ता परिंदा है।

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