एक ज्ञान की बात भी पढ़ लो, फायदा देगी

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बीमां कंपनियां हमेशा नए-नए ऑफर देकर आप को आकर्षित करने की कोशिश करती रहतीं हैं। खासतौर पर जब आप बाइक खरीदते हैं तब एजेंट आपके पीछे पड़ जाते हैं अपनी कंपनी की स्कीम सुना-सुना कर आप को भ्रमित करने की कोशिश भी की जाती है। लेकिन आज हम आप को बताएंगे कि बीमा करवाने से पहले किन बातों के विशेष ध्यान रखना चाहिए। हालांकि बीमा करवाना बहुत ही जरूरी है क्योंकि यह आप को सुरक्षा की गारंटी भी देता है। सबसे पहली बात यह कि आप जिस कंपनी से बीमा लेने का प्लान कर रहे हैं उसके क्लेम सेटलमेंट के रेशियो के बारे में जानकारी ले लें। क्योंकि जिस कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो अच्छा होगा वह आप को अच्छी सुविधा दे सकता है। अर्थात उससे आप बीमा लेने का सोच सकते हो। क्लेम सेटलमेंट रेशियो से कंपनी के बीमा से जुड़े ट्रैक रिकॉर्ड का पता चलता है। और हां ऐसी कंपनी से बीमा न लें जो केवल आप से प्रीमियम लेने में तो आगे रहे लेकिन क्लेम देने के लिए आप को टहलाती रहे। ऐसी कंपनी से बीमा लें जो आप को इस बात को लेकर सुनिश्चित कर सके कि बीमा लेने के बाद आप को बढ़िया कस्टमर सपोर्ट और सर्विस मिलेगी। क्योंकि कई कंपनियां बीमा लेने से पहले इन्श्योर्ड पीरियड तक अच्छी सर्विसेज देने का वादा करती हैं। लेकिन ऐसा सही में होता नहीं है। ज्यादातर कंपनियां इसका झूठा वायदा करती हैं। इन झूठे वायदों के बारे में क्लेम लेने के दौरान पता चलता है। 



    हो सके तो बीमा लेने से पहले आप अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और करीबियों से पता करें कि कौन सी बीमा कंपनी अच्छी सर्विस देती है। और हां यह भी सुनिश्चित करें कि क्या यह कंपनी आप को 24*7 सपोर्ट दे सकेंगी। मोटर पॉलिसी देने से पहले कंपनियां आपकी गाड़ी या बाइक की इन्श्योरेंस डिक्लेयर वैल्यू (आईडीवी) निकालती है। हर इन्श्योरेंस कंपनी का इसको तय करने का पैमाना अलग-अलग होता है। आईडीवी आपके वाहन की रिसेल वैल्यू पर असर डालता है। जितनी ज्यादा आईडीवी कंपनी तय करेगी उतनी ज्यादा रिसेल वैल्यू आपको आपकी गाड़ी की मिलेगी। इसलिए इन बातों को जरूर ध्यान में रखें। बीमा लेने के बाद आपको इंश्‍योरेंस क्‍लेम मिलेगा कि नहीं यह आपकी पॉलिसी पर भी निर्भर करता है। सामान्‍यतया इंश्‍योरेंस दो प्रकार के होते हैं पहला कॉप्‍प्रिहेंसिव इंश्‍योरेंस और दूसरा थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस, वाहन पुराना होने पर थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस किया जाता है, यह कानूनन रूप से जरूरी है। किन इसमें दुर्घटना होने पर गाड़ी की टूटफूट या चोरी होने पर कोई मुआवजा नहीं मिलता। कॉम्‍प्रिहेंसिव इंश्‍योरेंस में आपको प्‍लास्टिक, रबड़ पार्ट या एसेसरीज का भुगतान नहीं नहीं किया जाता है। कई पॉलिसियों में 100 फीसदी मुआवजा नहीं मिलता, इसके लिए आप जीरो डेब्‍ट इंश्‍योरेंस ले सकते हैं, ये कुछ महंगा पड़ता लेकिन आपको चिंतामुक्‍त भी रखता है।

    अपनी गाड़ी में फ्यूल किट लगवाने से पहले जरूरी है कि बीमा कंपनी से अनुमति ली जाए। अक्सर लोग बढ़ते पैट्रोल और डीजल की कीमतों से परेशान होकर वैकल्पिक फ्यूल किट लगवा लेते हैं। ऐसे में कंपनी उन दावों को मंजूरी नहीं देती जिन्होंने बिना अनुमति के सीएनजी या एलपीजी किट लगावाया होता है।

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