अब समझ में आया कि सरकारी विभाग आरटीआई के तहत मागी गई जानकारियां देने में क्यों घबराते हैं? क्योंकि सरकारी विभाग सरकार को बचाते हैं। सरकार कानून बनाती है कि विभाग उसे लागू करे। जनता सोचती है कि कानून बन गया। विभागों को देखिए घात लगाए बैठे हैं। सरकार मुस्करा रही है। मैच फिक्सिंग के आरोप बेचारे क्रिकेटरों पर बेकार ही लगते हैं। वे क्या खाक-कमाते खाते होंगे ? पाकिस्तान में हमने देखा कि किस तरह एक बेवकूफ माशूका तो दुनिया में कचरे ही करा देती है। जरा यहां के फिक्स मैच को देखिए। पंकज कपूर अभिनीत चला मुसड्डी आफिस-आफिस का ही तो सीन है।
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